कर्म की गठरी बांध के जग में फिरे इंसान

कर्म की गठरी बांध के जग में फिरे इंसान जैसा करे वैसा भरे विधि का यही विधान
प्रार्थनाएं हर वक्त कुछ मांगने के लिए नही बल्कि मालिक ने जो हमें दिया है उसका आभार व्यक्त करने के लिए होनी चहिए!!
*सुख मन के भीतर की संपदा है जो धन से नहि, जो धैर्य और संतोष से प्राप्त होगा!!*
प्रेम की जागृति में सत् करतार की कृपा ही खास कारण है । सत् करतार की कृपा की अनुभूति होती है उनके शरणागत होने पर । शरणागत होने में संसार के आश्रय का त्याग मुख्य है ।