काल से कौन छूड़ा सकता है ?
कबीर साहिब कहते हैं कि इस संसार में माता-पिता, भाई-बहन और भी सखी साथी जितने भी हैं उन सभी में से कोई भी जीव को मृत्यु से नहीं बचा सकता । अंत समय में कोई भी सहाई नहीं होता क्योंकि जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है ।
परंतु एक है जो आत्मा को जन्म मरण के दुखों से बचा सकता है वह सतगुरु है । कबीर साहिब कहते हैं जो साधक सद्गुरु के बताए ज्ञान को प्रेम पूर्वक हृदय में बसा लेता है सतगुरु द्वारा बताए गए भक्ति मार्ग पर चलता है सद्गुरु उसको काल के जाल से बचा लेते हैं इस संसार में मृत्यु को ही काल मान लेना सही नहीं है बल्कि इस संसार में जहां जहां तक मन का दायरा है वे सभी काल ही है ।
सतगुरु की दया से जीव सांसारिक मोह माया के चक्रों को समझ लेता है और अंत समय में काल के मुख्य में नहीं जाता बल्कि अपने निज लोक जहां पर जन्म और मृत्यु नहीं है को प्राप्त हो जाता है । सत गुरु का शब्द ही केवल जीव को काल से बचा सकता है क्योंकि काल से वही बचा सकता है जो जन्म मरण के बंधन में नहीं आता वह ना जन्मता है ना मरता है, वह शब्द है, शब्द ही मालिक है ।
साधक को परमात्मा के सच्चे शब्द की प्राप्ति सच्चे सद्गुरु से होती है और जो साधक सच्चे हृदय से सतगुरु के बताए मार्ग पर चलता है सद्गुरु उसको काल के जाल से छुड़ा लेते हैं ।