मानव सेवा है घर्म हमारा,सच्ची सेवा है

सत फॉउंडेशन:- 💫💫💫💫💫💫💫💫
मानव सेवा है घर्म हमारा,सच्ची सेवा है पैग़ाम हमारा!
नेकी की तरफ़ क़दम बढ़ाए हम ,कुछ अच्छा,कुछ सच्चा कर जाए हम ! .....
वे व्यक्ति  जो किसी भी प्रकार से दूसरों की मदद करना ही अपना सबसे बड़ा धर्म ,पुन्य मानते है। मदद एक ऐसी चीज़ है जिसकी जरुरत हर इंसान को पड़ती है, चाहे आप बूढ़े हों, बच्चे हों या जवान; सभी के जीवन में एक समय ऐसा जरूर आता है जब हमें दूसरों की मदद की जरुरत पड़ती है। आज हर इंसान ये बोलता है कि कोई किसी की मदद नहीं करता, पर आप खुद से पूछिये- क्या आपने कभी किसी की मदद की है? अगर नहीं तो आप दूसरों से मदद की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

एक वादा करिये की रोज किसी की मदद जरूर करेंगे, रोज नहीं तो कम से कम सप्ताह एक बार, नहीं तो महीने में एक बार।जरुरी नहीं कि मदद पैसे से ही की जाये, आप किसी वृद्ध व्यक्ति को सड़क पार करा सकते हैं या किसी प्यासे को पानी पिला सकते हैं या किसी हताश इंसान को सलाह दे सकते हैं या किसी को खाना खिला सकते हैं। यकीन मानिये ऐसा करते हुए आपको बहुत ख़ुशी मिलेगी और लोग भी आपकी मदद जरूर करेंगे 💫💫💫💫💫💫💫💫
मानव सेवा है घर्म हमारा,सेवा है पैग़ाम हमारा!
नेकी की तरफ़ क़दम बढ़ाए हम ,कुछ अच्छा,कुछ सच्चा कर जाए हम!
वे व्यक्ति  जिन्हें किसी भी प्रकार के कृत्रिम अंग हाथ,पैर या हियरिंग मशीन की जिन्हें आवश्यकता है प्लीज मुझसे सम्पर्क करे!सुमन अर्पण 9910366450.सरकारी संस्था की मदद से मै तुम्हारी सहायता आवश्य करूँगी!तुम सभी से निवेदन है की इस मैसेज को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे ताकि यथा संभव लोगों की मदद हो सके!
                 निवेदन:सुमन अर्पण

शहीदों के सम्मान में एक समय कहा जाता था कि
''शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशाँ होगा''
लेकिन समिति ने भारतीय आज़ादी आंदोलन के शहीदों के लुप्त हुए अस्तित्व को जीवित करते हुए और उनकी चिताओं पर प्रतिदिन मेले लगाते हुए उपरोक्त लिखित पंक्तियों को अपने देश भक्ति के कार्यो से बदल कर
''शहीदों की चिताओं पर लगेंगे प्रतिदिन मेले
वतन पर मिटने वालो का चारों और निशाँ ही निशाँ होगा''
कर दिया है, अगर आप भी इस देश भक्ति सॆ ओत प्रोत अभियान से जुड़ना चाहते हैं तो समिति के सदस्य
Sanstha का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना।
आज समर्पन परिवार द्वारा की गई  कुष्ट आश्रम  की सेवा जैसा  की आप  सब जानते है  की प्रतयेक रविवार  को कुष्ट आश्रम मे दूध फल  ज़िससे वहां के लोग दुआये व  आशीर्वाद देते है इसमें कोई संदेह नहीं कि जीवन का यथार्थ लक्ष्य सेवा ही है। आध्यात्मिक, धार्मिक जीवन बिताने पर भी अन्ततः मनुष्य को सेवा की ही प्रेरणा मिलती है। जो जितना विकसित होगा उसमें सेवा की भावना उतनी ही प्रबल होगी। यही मनुष्य के आत्म विकास की सच्ची निशानी है।
यदि हम में सेवा की इच्छा हो तो अत्यन्त व्यस्त जीवन में से भी समय निकाल सकते है।