कहते है जितनी चादर हो उतने पैर पसारने चाहिए

कहते है जितनी चादर हो उतने पैर पसारने चाहिए। मगर पैर लंबे होते जा रहे है और चादर छोटी सच बात है आज कल हर कोई चाहता है मेरे पास वंगला हो गाड़ी हो बढे बढे मोबाइल हो भले ही हमारी इतनी इनकम नही है लेने के लिए पर चाहिये सब। हम हमेशा ऊपर देख कर चलते हैं तभी दुखी रहते हैं मन की शांति भी भंग हो जाती है और मालिक दाता का नाम लेने मै भी मन लगेगा नही बेचैनी अशान्ति बनी रहेंगी सो अलग। इस लिए हम हमेशा निचे देख कर चले हमेशा सुखी रहेगे हम बंगले की बात कर रहे है गरीब तो फुटपाथ पर सो रहे है हम भर पैट खाना खा रहे हैं गरीब तो भुके सो रहे है हम गाड़ी की बात कर रहे है गरीब के पास तो साइकिल तक नही होती है। सच ये ही है। जितना हम ऊपर की तरफ देखेंगे दुखी रहेगे और जितना निचे देखेगें सुखी रहेगे। मालिक दाता से मागे शरीर ठीक रहे कोई रोग नही लगे इस से बढा कोई सुख नही है ज्यादा से ज्यादा मालिक दाता को नाम जपे सुख ही सुख है और जो भी चाहना है चाहे संसार की चाहे मालिक दाता के घर की मालिक दाता को नाम जपत रहेगे मालिक दाता हमारी सब चहानाये पूरी कर देगे हमेशा खुश रहो मालिक दाता की महर सब पर बनी रहे सतनाम 🌹रिंकी साध