आर्य समाज सबका तोड़

आर्य समाज सबका तोड़ :-

- आर्य समाज इस्लाम की विचारधारा का तोड़ है क्योंकि आर्यों ने कुरान, हदीसों की अंदर तक समीक्षा कर डाली है और मुस्लिम संगठनों द्वारा जो हर प्रकार से हिन्दू समाज के इस्लामीकरण की होड़ सी लगी है उसको नकेल डालने और मुस्लिमो के शुद्धिकरण में केवल आर्य ही सक्षम हैं । आर्य समाज ही प्रबल युक्तियों से इस्लाम का खंडन और वेद मत का मंडन करने का सामर्थ्य रखता है ।

- आर्य समाज ईसाईयत का तोड़ है क्योंकि आर्यों ने नया नियम और पुरानी नियम नाम से बाईबल की समीक्षा की है और अकाट्य तर्कों से ईसाईयत की पोल खोली है । इनके द्वारा हो रहे दलितों के ईसाईकरण में सबसे बड़ी रुकावट है क्योंकि आर्य समाज वर्णव्यवस्था की स्थापना करके जातिवाद और छुआछूत को समाप्त करने को कटिबद्ध है ।

- आर्य समाज अंबेदकरवाद का तोड़ है । जो अंबेदकरवाद केवल ब्राह्मण द्वेष और जातीय घृणा फैलाकर सभी दलितों आदिवासीयों को वैदिक धर्म से विद्रोही बना रहा है और स्वयं को मूलनिवासी और स्वर्ण कहे जाने वालों को विदेशी सिद्ध करने हेतु जी जान से जुटा है उसे केवल आर्य समाज ही ऐतिहासिक साक्ष्यों और वैज्ञानिक तर्कों के द्वारा नकेल डालने में समर्थ है ।

- आर्य समाज नास्तिकों का तोड़ है । कहते हैं कि नास्तिकों से कोई डिबेट नहीं कर सकता । लेकिन ये बात सत्य है कि आर्य समाज को छोड़कर नास्तिकों से कोई भी शास्त्रार्थ नहीं कर पाता है । आर्य समाज ही ६ वैदिक आस्तिक तर्कशास्त्रों से नास्तिकों को चारों खाने चित्त कर सकता है ।

- आर्य समाज खालिस्तानी विचारधारा को तोड़ है क्योंकि जो सिक्ख संप्रदाय है वो पूरा का पूरा वेद आधारित है । खालिस्तानी सभी सिक्खों को वैदिक धर्म से अलग करके अलगाववादी बनाने और हिन्दू समाज के प्रति उग्र घृणा भरने हेतु पूरे जीजान से जुटे हुए हैं । गुरु ग्रंथ साहिब के चप्पे चप्पे पर वेद और ऋषियों की महिमा गाई गई है । आर्य समाज इन्हीं प्रमाणों को इन खालिस्तानीयों के सामने रखता है जिससे कि ये लोग बौखलाकर अभद्र भाषा प्रयोग भी करते हैं ।

- आर्य समाज ही वामपंथी भोगवादी विचारधारा का तोड़ है । ये वामपंथी भोगवादी नास्तिक संस्कृति को मानते हैं और इसके लिये ये देश द्रोह आदि कार्यों में अधिक पाए जाते हैं । इनका उद्देश्य देश को खंडित करके देश की सीमाओं को तोड़ चीन की तर्ज पर एकछत्र काम्युनिस्ट शासन बनाना है जिसके लिये ये किसी भी देश में होते हैं तो वहाँ के बहुसंख्यक समाज का प्रबल विरोध करते हैं इसी कारण भारत में ये लोग हिन्दू समाज के विरोधी होते हैं । लेकिन आर्य समाज भोगवादी संस्कृति का तोड़ सदाचार, स्वाध्याय आदि के द्वारा करता है । नास्तिकता के स्थान पर आस्तिकता, विदेशी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, अलग राज्यों की माँग करके देश तोड़ने वालों के विरुद्ध वहाँ की जनता को वेद की स्वदेशी विचारधारा से जोड़ना आदि कार्यों के द्वारा इन वामपंथीयों की कमर तोड़ने में सक्षम है ।

- आर्य समाज दक्षिण में पनप रही देश विरोधी द्रविड़ विचारधारा का तोड़ है । क्योंकि वे लोग अंग्रेजों के उच्छिष्ठ भोजी इतिहासकारों के आधार पर उत्तर भारतीयों से घृणा करते हैं और आर्य समाज सत्य इतिहास और तर्कपूर्ण समाधानों से उनको राष्ट्रीयता से जोड़ने में सक्षम है ।

ऐसे ही केवल और केवल आर्य समाज ही चारों ओर से पिट रही हिन्दू जनता की ढाल बनकर सदैव उसकी रक्षा करने को कटिबद्ध है । ये तो कुछ ऐसा है कि हिन्दू जाति एक मुर्दा शरीर की तरह है जिसको चारों ओर से चील, कौए, गिद्ध, कुत्ते आदि नोचने को आमादा हैं और आर्य समाज उस सिंह की भांती है जो दहाड़ मारकर इन चील, गिद्धों को झपटने को आमादा है जिससे कि ये भाग जाते हैं और हिन्दू समाज को टार्गेट करने से पहले सौ बार सोचते हैं ।