भगवान का पता चल गया कि कहाँ रहता है ?

गजराज ( हाथी ) का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया तो उसने हरि को पुकारा । हरि नंगे पाँव दौड़े आये और मगरमच्छ का वध कर गज को मुक्त कराया।।
          दुशासन ने द्रोपदी का चीर हरण किया तो उसने भी हरि को पुकारा हरि ने आकर उसको भी बचाया ।

         होलिका ने प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की तो प्रह्लाद ने हरि को पुकारा हरि उसको भी बचाने आया ।

        गोकुल ग्रामवासियों ने इंद्र के प्रकोप बाढ़ से बचाने हरि को बुलाया, हरी ने गोवेर्धन पर्वत एक उँगली से उठाकर उनको बचाया ।और दो चार आप खुद जोड़ लीजिये।
अब वास्तविक घटनाओं पर आ जाइये

            #महमूद गजनवी#ने भारत पर 17 आक्रमण किये,सोमनाथ का मंदिर लूटा और भयानक मार काट की । "भक्तो" ने फिर भगवान को पुकारा ।
"गजनवी "के सैनिक रक्तपात करते रहे लेकिन कोई भगवान नही आया ???? क्यूँ ?

        भारत पर हमला करने शक, तुर्क, गौरी, ख़िलजी, तुगलक, सैयद, लोदी, मुग़ल , डच, अंग्रेज़ आये......
      लेकिन "भारत" भूमि को लम्बी गुलामी से बचाने कोई हरि नहीं आये ? क्यूँ ?

"औरंगज़ेब" ने आपके भक्तों को मार मारकर :मुसलमान :बनाया
       लेकिन  सहायता के लिये हरि  नहीं आये ???क्यों ???
     बेचारे भक्त केदारनाथ दर्शन के लिये गये ।अब केदारनाथ में प्रलय आ गयी ।
       20,000 भक्त मारे गए। भक्त फिर भगवान को सहायता के लिए पुकारते रहे लेकिन कोई भगवान नही आया ।
     भक्त मरते रहे और भगवान देखते रहे ?? आपने सिर्फ अपना घर यानि (मंदिर )भी नही बचाया ??
      
अब" नेपाल" में भूकंप आया । भक्त फिर भगवान से प्रार्थना करने लगे लेकिन कोई भगवान नही आया बचाने ?

        इससे पहले भी भूकंप दंगे फसाद या कोई अन्य त्रासदी होने पर भी सब भगवान को पुकारते रहे लेकिन कभी कोई भगवान नही आया ।

           इससे क्या सिद्ध होता है ?
इससे सिर्फ एक ही बात सिद्ध होती है कि भगवान बचाने को तो आता है लेकिन सिर्फ ;""मिथकीय/झूंठे किस्से कहानियों ""में ।
            अब अगला सवाल होता है कि भगवान कब सहायता करने आता हैं ?
       सीधी सी बात है जब "कहानी "
लिखने वाला भांग खाकर लिखने लग जाये तब।
       अगला सवाल भगवान किसकी मदद करता है ?

    अतः निष्कर्ष कहता है क़ि भगवान पौराणिक कथाओं के सिर्फ अपने जैसे ही काल्पनिक पात्रों की रक्षा करता हैं ।

         अगला सवाल भगवान कहाँ रहता है ?

ईश्वर का अस्तित्व मानव मस्तिष्क के अलावा कहीं नहीं है।

पशु पक्षी भगवान से नहीं डरते मनचाहा करते है।।

      वो कुछ लोगों के दिमाग में "डर "के रूप में बसे होने के अतिरिक्त मिथकीय (झूठे) किस्से कहानियों में ही रहता है ।

        इन तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष यह निकलता है कि यथार्थ और वास्तविकता के धरातल पर
""""" न तो कभी किसी ने ईश्वर को देखा है और ना ही कभी कोई भगवान किसी की मदद करने आयें है ।आज तक मनुष्य ने जो भी प्राप्त किया है वो उसने अपने कर्म के बलबूते ही प्राप्त किया है वाकि उस फल को हम लोग ही ईश्वर से जोड़ने का आडम्बर करते हैं।इसलिए कर्मफल पर ध्यान केंद्रित करना परम् आवश्यक है। """"""
डर का दूसरा नाम ??       समझे कुछ....भगवान !

और डर के आगे ?...?...क्या है ..? जीत है भाई जीत.….समझे ?

        अन्ध विश्वास भगाओ ।
        जागो और जगाओ!
         देश  और  समाज बचाओ ।