" पापों और पाखण्डों से ऋषिराज छुड़ाया था तुमने, भयभीत निराश्रित जाति को निर्भीक बनाया था तुमने!
बलिदान तुम्हारा था अद्वितीय हो गयी दिशाएं गुंजित थी!
जन जन को देगा प्रकाश वह दीप जलाया था तुमने"
शत शत नमन महर्षि दयानंद सरस्वती जी
|| ओ३म ||
दयानन्द स्मृति भवन जोधपुर
महर्षि दयानन्द सरस्वती स्मृति भवन