सबसे बड़ी शक्ति तो वो है

सबसे बड़ी शक्ति तो वो है!जो है हमारे पास हम उसमें ही सवर और संतोष धीरज रख्खे!
अब तुम शायद यह कहोगे
कि यह सब कहने सुनने की बाते हैं! मैं तो यही कहना चाहूँगा!क्योंकि मैं हर हाल में संतुण्ट रहना चाहता हूँ!और हमेशा कोशिश करता हूँ!अब रही बात काम धन्धे और मनके विचार सुधार की अपनी कोशिश हमें पूरी करनी चाहिऐ काम धन्धे को अच्छे से अच्छा करने की उसके बाद भी काम में कोई सुधार नहीं आता हैं!तो हम मनमें यह विचार पैदा करें!दाता तुम अपने इस प्रानी को ऐसी शक्ति प्रदान करों हर उलझन और विपदा से ऊवार दो!
हम यह बात मनमें हृदय मे उतारने की कोशिश करते रहे!मालिक के नाम से बढ़कर कोई शक्ति नही हैं!
जो काम करने मे हम असफल हो रहें!उसमें भी कोई भेद होगा!हम घवराये नही वेचैन नही हो उठकर बैठे और बैठकर खड़े हो तो भी मेरे दाता का धनकारा इस मनमें हो!
यह बतकई नही है!यह अन्तर मन की कुछ बातें हैं!जो मुझे लग रही है!अगर यह बातें अमल में लाई गई तो जरूर हम हर मोड़ पर कामयाब होगे!मेरी कोई बात कम अच्छी लगे!तो मनसे मत लगाना उसे कोई अच्छा मोड़ ही देने की कोशिश करना ! ऐसी इस जगत में कोई शक्ति नही है!जो हमारे मनमे शान्ति  और काम में बढोत्तरी पैदा करेः!अच्छी सोच विचार  के साथ मालिक के नाम से ही इस प्राणी को शक्ति मिलेगीं!अगर यह शक्ति हमने जगत में किसी से लेने की भी कोशिश की तो हम बहुत बड़ी भूल करेगे!
            सत्तनाम ।