कोई भी ऑख से काजल चुरा नही सकता विधि ने जो है लिखा वो मिटा नही सकता

कोई भी ऑख से काजल चुरा नही सकता विधि ने जो है लिखा वो मिटा नही सकता ये जिंदगी का दीया भी अजीब दीपक है जो बुझ गया तो कोई फिर जला नही सकता ।बुराई चीज ही ऐसी है सब मै होती है कोई गूणो को किसी के चूरा नही सकता ।सतगुर।तो सभी के दिलो मै निवास करते है कोई किसी को मगर दिल दिखा नही सकता ।सतगुरु ।के सिवा भव से पार कोई भी लगा नही सकता।
    सतनाम!