जिसने सतगुर साहिब के बताये नियम कायदा कानून का अनुशरण किया ,वह भवसागर पार हो गये

*सरे रहै साँचे मते,
                  सो पहुँचे निजठौर*
सरा, - सतगुर साहिब द्वारा बताया, वह कायदा कानून, जिस पर चलना ही बंदगी है।
"अब सतगुर नैं सरा बताया, चूक पड़ी दोजक पहुचाया"।
जिसने सतगुर साहिब के बताये नियम कायदा कानून का अनुशरण किया, वह भवसागर पार हो गये।
"जिन सतगुर की सीख न मांनी, ते भरम पड़ा चौरासी खानी"।
जिसने सतगुर साहिब के बताये मार्ग की अवहेलना की वह भवसागर मे ढ़ूब गये।
सतगुर साहिब नें बताया कि, यह संसार सृष्टिकर्त्ता अबगत आप का है।
"साधौ करौ अबगत की आस, ऐसै कहैं उदादास"।
उदादास बाबा की सीख (हुकम) है कि, अबगत आप से ही आस करो।
"अबगत सा और दूजा न कोई"।
अबगत आप के समान दूसरा कोई नहीं है।
"किरतम को वे ध्यान धरत हैं, महामूढ़ अग्यान"।
संत कह रहे है कि,
जो कर्त्ता को भूलकर, किरतम की आस, बंदगी, या ध्यान करते हैं, वह महामूर्ख और अग्यानी है।
"अब अबगत का चाँहा गावौ, हुकमी बंदा फैल उठावौ"।
संत कह रहे है कि,
सतगुर साहिब के हुकम मानने बाले हुकमी साध का काम है कि, वह अपने अन्दर व्याप्त सारी बुराइयों को दूर करके, अबगत आप के चाँहे के अनुसार अपना जीवन यापन करे।
"यही मता है अबगत आप का, सतगुर सौंपा आय, चौकस दुरस सत्त ही सत्त, भगत तना और भाव"।
चौकसी, दुरुस्ती और सुचेती के साथ नाम जपना ही साध का काम है।
सत्तनाम।(राजमुकट साध)।