ज्ञान के मार्ग

🙏🌹💝🎃 ज्ञान के मार्ग 🙏🌹
गौतम बुद्ध के पृवचन मे एक व्यक्ति हर रोज आया करता था।वह बड़े ध्यान से उनकी बात सुनता था बुद्ध अपने पृवचन में लोभ,मोह,अहंकार, छोड़ने की बात प्रायः करते थे।एक दिन वह व्यक्ति बुद्ध के पास जाकर बोला, मैं लगभग एक महीने से आपके पृवचन सुन रहा हूं।पर क्षमा करें मचझ पर उनका कोई असर नहीं हो पा रहा है।इसका कारण.क्या है# क्या मुझ मे ही कोई कमी है।बुद्ध ने मुस्कराकर पूछा,  श्राबस्ती यहाँ से कितनी दूर है।उसने बुद्ध को दूरी बता दी।बुद्ध ने पूछा तो ये बताओ कि तुम बहाँ कैसे जाते हो,व्यक्ति ने उत्तर दिया, कभी घोडे़ पर तो कभी बैलगाडी़ में बैठकर चला जाता हूँ।बुद्ध ने फिर पृश्न किया पहुंचने में तुम्हें कितना समय लगता है।उसने हिसाब लगाकर समय बताया।बुद्ध ने कहा, अच्छा अब यह बताओ क्या तुम यहाँ बैठे बैठे श्राबस्ती पहुँच सकते हो।ब्यकित ने आश्चर्य से कहा यहाँ बैठे बैठे भला कैसे पहुंचा जा सकता है।इसके लिए चलना तो पडेगा  ही या फिर किसी बाहन का सहारा लेना पडेगा।बुद्ध ने कहा, तुमने बिल्कुल सही कहा।चलकर ही किसी लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।इसी तरह अच्छी बातों का पृभाव भी तभी पड़ता है जभ उन्हें जीवन मे उतार लिया जाये।कोई भी ज्ञान तभी साथँक है।जब उसे अपने आचरण मे उतारे।मात्र पृवचन सुनने या अध्ययन कर लेने से कुछ भी प्राप्त नहीं हो जाता।अब मुझे अपनी भूल समझ मे आ रही है। मै आपके बताये मागँ पर आज से ही चलूगां।