मौन साधना की महिमा

🌹मौन साधना की महिमा 🌹
तीन स्थान पर मौन रखना चाहिये स्नान, ध्यान, भोजन, मौन सरवोतर टानिक है।उर्दु में इसे खामोशी कहते है जो काम हम बोलकर नहीं कर पाते वह मौन कर देता है मौन से साधना में ही सिद्धि प्राप्त होती है। मौन बाणी का सयंम है। प्रानी के दो मित्र है मौन और एकांत बास मौंन से मन में ताजगी खोई हुई शक्ति मिलती है मौनी कभी भी दूसरों को तखलीफ नहीं पहुंच सकता बोलने से अनर्थ "महाभारत के समय अन्धे के अन्धे" मौन की गयीं साधना पूणँ बनती मौन से जीवन मे शान्ति मिलती है जहाँ मौन की पूणँता होती है वहाँ बिबेक कीप्रतिष्टा होती है जिसकी जीभ लम्बी उसका संसार लम्बा।जिसकी जीभ छोटी उसका संसार छोटा। मौन से स्वय पर नियन्त्रण आता है मौन से क्लेश सघषँ दूर होता है मौन जीवन का परम मित्र है और परम सहायक है। मौन साधना को तपों में श्रेष्ठ माना. गया है कहा जाता है पहले बोली चलती है फिर गोली चलती है।🌹🌹🌹🌹🌹Naresh, N,K,