"उसका चाँहा देखियै, जिसका शकल जहाँन"।
हम सभी को सृष्टिकर्त्ता अबगत आप का चाँहा देखना है।
"यही आश है आप की, अबगत के फुरमान"।
अबगत आप से आश करना, उनके फुरमान को मानना,
अबगत की कहन, और उनका मता मानना ही, उनका चाँहा देखना है।
अबगत आप की कहन,
"अहूँ करी जिन भेद न पाया, कुबधी अपना जन्म गमाया"।
अहूँ मेंट कै भगत करैला सै सत्त सेती प्रेम धरैला"।
"कबीर जी कौ सीख अबगत जी दीनी"।
अबगत आप का मता, सतगुर साहिब ने साधों को बताया।
"यही मता है आप का सतगुर सौंपा आया, चौकस दुरस सत्त ही सत्त भगत तना और भाव"।
अबगत आप की कहन जो सतगुर साहिब ने बतायी।
"तन सांटे की लेत है, अबगत फुरमाया"।
"पल पल मैं रहियौ सावधान, अबगत फुरमाया"।
सत्तनाम।
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