सच्चा है मालिक से जुडना, उनका नाम जपना, उन पर विस्वास रखना

*झूंठ कौ छांड दे,सांच त्यारै* झूंठा है यह संसार और इससे मन का विशेष जुडाव।
सच्चा है मालिक से जुडना, उनका नाम जपना, उन पर विस्वास रखना।
सन्त कह रहे हैं।
"शबद सच्चा, पिन्ड कच्चा, समझ अनभै ग्यान, सत्त सै वेमुख्ख हैं, जिव जांय नरक की खान"।
यह शरीर कच्चा है। सत्तअबगत नाम सच्चा है।
हे प्रानी समझ तुझे किसका साथ करना है।
अनभै ग्यान यानी अबगत आप की भक्ती करना।
जिसने नाम जपना छोंड दिया, वही वेमुख कहे जायेंगे।
 उनके लिये नरक का मार्ग दूर नहीं है।
मालिक सच्चे हैं, उनका दिया सत्तअबगत नाम सच्चा है, उनकी सीख, उनका ग्यान सच्चा है।
हे मन समझ तुझे किससे जुडना है।
मालिक से, उनके नाम और ग्यान से, जुडकर ही भवसागर पार किया जा सकता है।
अपने अहंम पर विस्वास करके हम मालिक को खो सकते हैं। मालिक पर विस्वास करके हम अपने अहंम को खो सकते हैं।
हे मन फैसला तेरे हॉथ में है। तुझे क्या खोना और क्या पाना है।फैसला तेरे हॉथ में है।
सत्तनाम।(राजमुकट साध)