सतगुर साहिब ने हर युग में सन्तों को सुचेत किया, चेतना दी

*चेतन कर चौरासी मेटी........,
  गुरु म्हारे लाये गत का गैला"।
सतगुर साहिब ने हर युग में सन्तों को सुचेत किया, चेतना दी। आद में महादेव को सुमेर में, सोते से जगाया।
पार्वती ने सतगुर साहिब  को धनकारा दिया।
(ल.)"जब सोते शिव कौ आन जगाया, भुलौं नही जोगी, दूना लाहा"।
 चौथे जुग में भवसागर में आकर सोते संतों को जगाया।
" पहर बारीख मैं महर सतगुर करी आन कै साध सूता जगाया"।
उन्हें वह चेतना दुबारा दी जिसे वह चौथा जुग आते आते खो चुके थे।
सन्तों को चौरासी से बचा कर, सतगुर साहिब ने उन्हें इतनी चेतना, इतना ग्यान दिया कि उनके लिये मुक्ति का मार्ग आसान हो गया।
"उज्वल किया भगत जब दीनी, हम पै छाया सतगुर कीनी।
आज हम सबको भी चेतना की बहुत आवश्यकता है।
सत्तनाम।(राजमुकट साध)