प्राणी इस संसार में अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही इस संसार से जाता है
तथा अपने पाप एबम पुण्य भी अकेले ही भोगता है
संसार में जितने भी संबध है सब मिटने बाले है
केबल एक मालिक से ही हमारा सच्चा संबध है जो कभी नहीं मिटता
इसलिए मालिक के नाम को ही अपने हिरदे में बसाना है जो संग चलने बाला है
मालिक से अरदास करते रहे कारज सब बनते रहेंगे
तथा अपने पाप एबम पुण्य भी अकेले ही भोगता है
संसार में जितने भी संबध है सब मिटने बाले है
केबल एक मालिक से ही हमारा सच्चा संबध है जो कभी नहीं मिटता
इसलिए मालिक के नाम को ही अपने हिरदे में बसाना है जो संग चलने बाला है
मालिक से अरदास करते रहे कारज सब बनते रहेंगे