जिस प्रकार कमल का पौधा कीचड़ का उपयोग कर स्वयं को कीचड़ से उठा कर अपने पुष्प को खिलाता है और उस पर कभी भी कीचड़ ठहरने नहीं देता, पेड़ पौधा भी अशुद्ध वायु और जीवों तथा इंसानों को जीने के लिए ऑक्सीजन और भोजन प्रदान करता है और उन्हें पालते रहता है और संसार को चलाते रहता है।
ठीक उसी तरह इंसानों को भी इनसे सिख लेकर अपने विकारों को समझ कर उसे अपनी ताकत बनाकर अपनी ऊर्जा को ऊपर उठा कर स्वयं को जानना चाहिए और लोक कल्याण करते हुए जगत का और अपना उद्धार करना चाहिए। खुद को ऐसा बनाओ कि कोई विकार तुम्हे प्रभावित न सके, कोई आकर्षण भ्रमित न कर सके। अपनी कमजोरी को ताकत बनाओ। ताकि कमजोरी तुम्हारे आगे घुटने टेक दे और तुम अपने मन के मालिक बन जाओ। मन के जीते जीत है मन के हारे हार।
*सत* *अवगत* *सतनाम*