मन में हो विश्वास तो सब संभव है

*मन* 
      *और*
              *विश्वाश*
 
मन में हो विश्वास तो सब संभव है सच्चे मन से परमात्मा को याद करके देखो फिर देखो जीवन मन परिवर्तन होने लगता है!!

प्रभु में विश्वास की कमी ही हमारे मन में भय को उत्पन्न करती है। जीवन में जितने भी प्रकार के भय हैं, सबका निराकरण उन  की शरण में आने के बाद ही संभव है। जब बुद्धि में भय व्याप्त जाए तो प्रभु के शरणागत हो जाओ। भय कुछ खोने का हो, भय कुछ - लुटने का हो, भय शत्रु का हो अथवा तो भय प्राणों का ही क्यों न हो प्रत्येक स्थिति में प्रभु की शरण हमें भय से मुक्त कराकर अभय प्रदान करती है।



हमारे समझने और स्वीकार करने भर की देर है, बाकी सच्चाई तो यही है कि चाहे हम कितने ही बलवान, सामर्थ्यवान एवं संपत्तिवान ही क्यों न हों लेकिन विपत्ति काल में उस प्रभु के सिवा कोई हमें अभय प्रदान करने - वाला हो ही नहीं सकता। रोग में, शोक में, दुख में, पीड़ा - में, कष्ट में, विपत्ति में जिस भी स्थिति में उस प्रभु के शरणागत हो जायेंगे उसी स्थिति में उन कृपा सिंधु प्रभु द्वारा हमें स्वीकार करके समस्त भयों का नाश करते हुए अभयता प्रदान कर दी जायेगी।
 *सत* *अवगत* *सतनाम*