नीत्शे ने कहा है कि जिस वृक्ष को आकाश को छूने की

नीत्शे ने कहा है कि जिस वृक्ष को आकाश को छूने की आकांक्षा हो, उसको अपनी जड़ें पाताल तक भेजनी पड़ती हैं।

जितना वृक्ष ऊपर उठता है, उतनी ही जड़ें नीचे जाती हैं। आप यह सोचते हों कि वृक्ष तो आकाश छू ले और जड़ें बिलकुल नीचे न जाएं, तो आप पागल हैं। कोई मौसमी पौधा आकाश नहीं छू सकता, उसकी जड़ें ही इस योग्य नहीं होतीं। जितना ऊपर उठना हो, उतना ही नीचे भी जाना पड़ता है। यह है जीवन का अनुपात।

तो अगर आप चाहते हैं कि समाज बहुत चरित्रवान हो जाए, तो आपको तैयार होना चाहिए कि समाज में उसी हैसियत के चरित्रहीन लोग भी पैदा होंगे। अगर आप चाहते हैं कि समाज बहुत बुद्धिमान हो जाए, तो ठीक उसी अनुपात के गैर-बुद्धिमान भी पैदा होंगे। अगर आपको बड़े बुद्धिमान चाहिए, तो बड़े मूढ़ स्वीकार करने होंगे। उनसे बचने का कोई उपाय नहीं है। जीवन का गणित ऐसा है, इसमें कुछ भी किया नहीं जा सकता। अगर आप चाहते हैं बहुत सुंदर लोग हों, तो आपको बहुत कुरूप लोगों को बर्दाश्त करना होगा। क्योंकि सुंदर हो ही सकते हैं कुरूप के विपरीत। ज्ञानी हो ही सकते हैं अज्ञानी के विपरीत। कोई दूसरा उपाय नहीं।

और अगर आप चाहते हैं कि दुनिया में पाप बिलकुल न हो, तो आपको पुण्य को भी छोड़ देने के लिए तैयार होना होगा। फिर पाप नहीं हो सकते। आप चाहते हों दुनिया में कुरूपता न हो, तो आपको सौंदर्य के सब मापदंड तोड़ डालने चाहिए। आपको सौंदर्य की बात ही छोड़ देनी चाहिए। फिर कोई भी कुरूप न होगा। क्योंकि बिना सौंदर्य के मापदंड के कुरूप को कैसे खोजिएगा? आप चाहते हैं कि दुनिया में मूढ़ता न हो, तो आपको बुद्धिमानों को समाप्त कर देना होगा। चाहते हों कि असाधु न हों, तो साधुओं को नमस्कार कर लेनी होगी। ये दोनों साथ-साथ होंगे। सभी विपरीत साथ-साथ होते हैं।

पर एक उपाय है--विपरीत में चुनो ही मत।
यही यह सूत्र कह रहा है--विपरीत में चुनो ही मत। जान लो कि दोनों एक ही हैं। सौंदर्य और कुरूप दोनों एक ही मापदंड के कारण हैं। बुद्धिमान और बुद्धू दोनों एक ही मापदंड के कारण हैं। दोनों के पार उठ जाओ। दोनों के जो पार उठ गया, उसे ही हम संत कहते हैं, परमहंस कहते हैं। ये दोनों के जो पार उठ गया, उसको ही हम परम-ज्ञानी कहते हैं। क्योंकि वही जान पाएगा कि सत्य क्या है। जो दो में कहीं भी उलझा है, इधर या उधर, वह सत्य को कभी भी न जान पाएगा। क्योंकि सत्य दोनों को समाहित करता है। - ओशो