एक महात्मा का प्रश्न था सबसे ज्यादा बोझ कौन उठा

एक महात्मा का प्रश्न था सबसे ज्यादा बोझ कौन उठा कर घुमता है?किसी ने कहा गधा तो किसी ने बैल तो किसी ने ऊंट अलग अलग नाम बताए!लेकिन महात्मा किसी के भी जवाब से संतुष्ट नहीं हुए!महात्मा ने हंस कर कहा-गधे बैल और ऊट के ऊपर हम एक मंजिल तक बोझ रखकर उतार देते हैं लेकिन,हम इंसान अपने मन के ऊपर मरते दम तक विचारों का बोझ लेकर घूमते है किसी ने बुरा किया है उसे न भूलने का बोझ,आने वाले कल का बोझ अपने किये कर्मो का बोझ इस तरह कई प्रकार के बोझ लेकर हम इंसान जी रहे है!जिस दिन इस बोझ को मालिक की महिर से यह प्रानी निस्वार्थ नाम जपकर उतारने की कोशिश करेंगे तो मेरे दाता मालिक हमारी जरूर मदद करेंगे!तब हम सही मायने मे जीवन जीना सीखेगें!क्यों सोचे कल की,कल के कौन ठिकाने हैं,दाता मालिक तो वही देगे!जो हमने वोया है!इस लिए हम कोशिश करें! निस्वार्थ जीवन व्यतित करने की हम स्वार्थी है!या नही इंसान समझे या न समझे पर मेरे मालिक रोंम रोंम के भेदी है!वो दाता सब जानते है!फिर हम क्यों झूठी शान के लिए दिखावा करते है!यानि दो रूप धारण किऐ हुए क्यों?हम विचार करें!हर क्षण उन दाता की यादगारी में रहने की कोशिश करें!जैसी कि यह प्रानी दाता की यादगारी में रहें कि मेरे दाता मालिक सब देख रहे!सुन रहै है!जो भी सुख सुविधा है सब मेरे दाता की देन है!जो भी अच्छा हो रहा है!वो सब दाता की कृपा दया महिर से ही हो रहा है और जो हमें लगता है कम अच्छा वो हमारी ही अपनी गलत सोच और गलत कर्म की बजय से होता है!बस हम यह बात मन से मान ले जो होता वह जोग ही होता है!कहते है जैसे हम कर्म करते इस जगत में बैसी ही हमारी मनोस्थीति रहती है!अब हम कोशिश करें!  निस्वार्थ मन से ज्यादा से ज्यादा दाता मालिक का नाम जपकर स्वांसा सुमरन ध्यान लगाने की पल पल अन्दर ही अन्दर उठते बैठते लेटते  अपने दाता मालिक के नाम ग्यान से जुड़े रहने की कोशिश करते रहै!दाता की यादगारी हर क्षण बनीं रहें तो वे दाता हर क्षण शक्ति प्रदान करते रहेंगे!दाता मालिक की सिफत देखें इस प्रानी को कितनी सुख सुविधा के साथ इस संसार में भेजा है!सुमरन करने के लिए ताकि उनके बनायें!हर प्रानी को कोई तकलीफ न हो अब हम विचार करें!हम क्या कर रहें!कितने अपने पराये तेरी मेरी में लिप्त है!हम अपना थर्मामीटर खुद लगा कर चैक करे!मालिक के हुकम मुजब काम करेंगे!तो शील संतोष बनी रहेगीं!नाम जपकर ध्यान लगाने की कोशिश करते रहै!हर पल आखिरी समझ कर  आगे वढ़ते रहै!मालिक की हर वो चीज जो दाता मालिक की है!उन दाता को सौपें हुए रहने की कोशिश रहै!सही सतनाम सुमर!सतनाम सरै सब काम!
           सत्तनाम!