हमारा  जीवन मूल आधार  चक्र पर निर्भर है ।

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*आन्तरिक बल 267*

*-मूल  आधार चक्र 4-भोजन*

-हमारा  जीवन मूल आधार  चक्र पर निर्भर है ।
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-इस समय सारी दुनिया  दुखी है क्योंकि सभी का यह  चक्र नियंत्रण में नहीं है ।
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-आग  को नियंत्रण करना  हो तो  उस पर ठंडा  पानी डालते है ।

-बाढ़  को रोकना हो तो जहां से पानी आ रहा है उसे रोकते है और पानी को जाने का रास्ता देते है ।
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-मूल आधार  चक्र को नियंत्रित  करना हो तो भोजन पर  नियंत्रण करना पड़ता  है ।
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-इस चक्र को  बल भोजन से मिलता  है । अगर हम सात्विक भोजन लेंगे तो यह चक्र सात्विक होगा । हम सात्विक कर्म, कल्याणकारी कर्म करेगें जिस से हम भी  सूखी होगे, हमारा परिवार वा समाज भी सूखी होगा ।
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-हमारे ऋषि मुनि सात्विक भोजन लेते थे जिस से उन्होने  पूरे विश्व का मार्ग दर्शन किया ।
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-किसी भी  समाज वा व्यक्ति का उत्थान और पतन भोजन पर ही निर्भर है ।
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-अगर आप योगी बनना चाहते  है तो सात्विक भोजन लो और कोशिश कर के अपने हाथ से बना हुआ लो ।
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-जो भी  ज्ञान मार्ग से गया  है  उसका पहला कारण यही बना  उसने भोजन का नियम तोड़ा  ।  आगे भी जो कोई ज्ञान छोड़ेगा  उसका  कारण यही बनेगा ।
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-इस लिये आप उन्नति की ओर बढ़ रहें है या गिरावट की तरफ़ तो उसका पैमाना है आप अपने को चेक करो आप का भोजन कैसा है ।
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-हर एक योगी की  मनोदशा  अलग अलग होती है और इसका असर भोजन पर होता है, इसलिये आज योगी भी  तनाव में रहते है । अतः दूसरे योगी के हाथ  का भोजन नहीं खाना  चाहिये ।
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-अगर आप  अमृतबेले  उठ नहीं सकते, पढ़ने को मन नहीं करता, योग लगाने को मन नहीं करता, आप को आलस्य ने घेर रखा  है, अगर आप को ज्ञान में संशय आ रहा है, अपवित्रता के विचार  सताते है तो ये सब लक्षण दर्शाते है कि  आप भोजन के नियम का पालन नहीं कर रहें हैं । आप पुरानी दुनिया से प्रभावित हो रहें है । ये लक्षण बताते  है कि  आप का  मूल आधार  चक्र दूषित है ।
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--अगर आप को शारीरिक रोगो ने घेर रखा  है, कोई ना कोई रोग लगा रहता है तो इस का अर्थ है आप के भोजन में और मन में अशुधि  है । तुरंत स्थूल भोजन अपने हाथ से बना कर खाना  शुरू करो । चाहे  आप कितने ही पढ़े  लिखे  हो,  जुम्मेवार हो, आप के लिये कितनी ही बहिनें भोजन बनाने के लिये उपलब्ध हो । आप कितने ही तर्क दे  सकते है । याद रखो  रोग लगे रहेंगे । मूल चक्र जागृत नहीं होगा । मन में अतृप्ती  बनी रहेगी ।
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-ऐसे ही मन में बुरे विचार, दुःख  के विचार, अशांति के विचार, खालीपन के विचार, आलस्य, नफरत के विचार, अपने से छोटों को दबाने के विचार  अगर ख़त्म नहीं  हो रहें है, आप दूसरो को मच्छर समझते है, सदा  हुक्म चलाते है,बडो की  चापलूसी और छोटों को दुतकारते है,  तो यह दर्शाता  है कि  आप के आस पास जो लोग है वह बहुत कमजोर मन वाले है, चापलूस है, मतलब परस्त है । अतः सूक्ष्म भोजन  के लिये,उच्च मनोबल के लिये  पुस्तकें पढ़े तथा  जो श्रेष्ट आत्माये है या थी  उन से मानसिक सम्पर्क रखे तथा  स्थूल भोजन  खुद बनाये, खुद परोसे और  खाये ।  हर समय जब भी  थोड़ा सा समय मिले पढ़ा  करो  ।अगर एक दिन भी  आप नया  नहीं  पढ़ते  है तो समझो आप का थोड़ा सा पतन हो गया है । ये पतन एक दिन आप को धरती पर ला पटकेगा । आप मूल आधार  चक्र से बाहर नहीं निकलेंगे ।
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- आप का बोल कैसा है । क्या आप का बोल पर नियंत्रण है ?  कठोर बोलना,  गंदा बोलना, गाली देना,  नये नये  मनघड़नत शलोक उच्चारते है, ये  लक्षण यही दर्शाते है कि आप भोजन के नियम का उलंघन कर रहें है और  आप की ऊर्जा इसी में खर्च होती रहेगी तथा मूल आधार  चक्र को शक्तिशाली नहीं बना  सकेंगे ।
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-अनामिका उंगली ( सब से छोटी उंगली के साथ वाली )  पृथ्वी तत्व से जुड़ी है । ध्यान लगाते समय इस उंगली के ऊपरी सिरे पर बिंदू रुप  देख कर भगवान को याद करें । यह मूल आधार  चक्र को  प्रभावित करेगा ।

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