जीना किसे कहते है

*इंसान की  अच्छाई  पर,*
       *सब खामोश  रहते हैं...*

*चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो,*
    *तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं..*

*जब दर्द और कड़वी बोली*
           *दोनों सहन होने लगे*
*तो समझ लेना की..*
                   *जीना आ गया ।।*