तुम्हारा है क्या जो तुम छोडोगे

💐 तुम्हारा है क्या जो तुम छोड़ोगे ?? 💐

एक संन्यासी मेरे पास आया और
उसने कहा, मैंने पत्नी-बच्चे सबका त्याग
कर दिया। मैंने उससे पूछा, वे तेरे थे कब? त्याग
तो उसका होता है जो अपना हो। पत्नी तेरी थी? सात
चक्कर लगा लिए थे आग के आसपास, उससे तेरी हो गई
थी? बच्चे तेरे थे? पहली तो भूल वहीं हो गई कि तूने
उन्हें अपना माना। और फिर दूसरी भूल यह हो गई
कि उनको छोड़कर भागा। छोड़ा वही जा सकता
है जो अपना मान लिया गया हो। बात कुल
इतनी है, इतना ही जान लेना है कि अपना
कोई भी नहीं है, छोड़कर क्या भागना है!
छोड़कर भागना तो भूल की ही पुनरुक्ति है।

जिन्होंने जाना, उन्होंने कुछ भी
छोड़ा नहीं। जिन्होंने जाना, उन्होंने
कुछ भी पकड़ा नहीं। जिन्होंने जाना, उन्हें
छोड़ना नहीं पड़ता, छूट जाता है। क्योंकि जब
दिखाई पड़ता है कि पकड़ने को यहां कुछ भी नहीं है,
तो मुट्ठी खुल जाती है।

~ ओशो ~

(एस धम्मो सनंतनो, प्रवचन #20)