सारी दुनिया ऐसे भांखे

*सारी दुनियां ऐसै भाँखै,
           सतगुर मिलैं तौ संसा भागै*
पूरी दुनियां चमत्कार की तलाश में, ढ़ोंगी पाखंडी और छलिया गुरुओं के जाल में फंसकर, उनके बताये नाम को जपकर, शंका सुवह और संशय के बीच अपना वहुमूल्य मनुष्य जन्म व्यर्थ ही गवां देते हैं।
संत कह रहे हैं कि,
जिन्हें सतगुर साहिब मिले, यानी जिन्हें सतगुर साहिब की पहिचान आयी,
उन्हीं के मन का अंधकार दूर हुआ।
उन्हीं के मन  की संसा भागी,
और जिनके मन की संसा भागी, वही पूरी भग्ति कर पाये।
"सही सतगुर मिला, झूँठ भाजर चला, सत्त की टेक जुग जुग साँची"।
जिन्हें गुरू के रूप में, सही सतगुर, यानी उदादास बाबा मिले,
और जो उनके हुकमों पर चले,
वही अपने अन्तर मन से, संसारी ढ़ोंग, ढ़कोसला, को निकाल सके।
तीरथ, बरत, पूजा पाठ, टंट घंट, आडम्बर, और किरतम की आस से वही बचे,
जिसने अपनी सुरत, उदादास बाबा की सीख से लगायी।
दान, पुन्न, और सेवा करके जो समझते हैं कि, मालिक दाता उन्हें मुक्ति देंगे,
वह दुनियां बालों की छल परपंच की बातों में उलझकर, झूँठ की आस करके, अपने को भरमा रहे हैं।
"जो गत चाँहौ अपनी रे भाई धरौ सत्त का ध्यान"।
धरौ सत्त का ध्यान, यानी 'सत्तअबगत' नाम को जपो, सतगुर साहिब के हुकमों को देखो, और उनका अनुशरण करो, तब ही कारज बनेंगे।
"गत होयगी सत्तनाम सै, सतगुर तंत बताया"।
सत्तनाम, यानी 'सत्तअबगत' नाम,
सतगुर साहिब के द्वारा बताई, वह तंत वस्तु(अजर वस्तु) है,
जिस पर पूर्ण विस्वास करके जपने से ही गत प्राप्त होगी।
सत्तनाम।(राजमुकट साध)।