सावन का महीना

सावन का महीना :---

साल के बारह महीने और बारह महीनों मे एक महीना होता है पवित्र महीना यानि कि सावन का महीना । इस महीने के आगमन पर हर साध बाई के अन्दर उमंगे और तरंगे उठती हैं । जज्बा ए जोश होता है और हर दिल मे प्रेम और मन मे प्रीत जगती है ।
इस पावन महीने को लेकर कुछ विचार मन मे उठ रहे हैं सो सबके साथ सांझा कर रहा हूँ :-------
(1)- कम से कम एक नेम तक हमें जरूर करना चाहिए कुछ घंटे बैठने का अपनी सुबिधानुसार और बो नेम टूटे नहीं इसकेलिये उसको बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करें ।
(2)- ग्यारह महीने हम पूरा कामधन्धे पर ही ध्यान ज्यादा देते हैं पर इस एक महीने मे कोशिश करें कि हमारा ज्यादा झुकाव नाम की तरफ ही हो । बैसे कुछ साध भाई हैं जो सावन भर व्यापार का कोई लेन - देन नहीं करते हैं ।
(3)- खानपान पर भी बिशेष ध्यान दे । ज्यादा तला हुआ और मसालेदार भोजन बैठाई मे बाधक बनते हैं । इनका परहेज करें । कुछ साध बाई तो खाना ही कम कर देते हैं या बहुत ही रूखा सूखा खाने लगते हैं । ये समझ से बाहर की बात है । क्योंकि इस शरीर को भी कार्य करते रहने के लिए सही मात्रा मे पोषण चाहिए ।
(4)- पहनावे का भी बैठाई में विशेष महत्व है । रंग विरंगे चटकीले वस्त्र ध्यान आकर्षित करते हैं । इसलिये हल्के रंगों के वस्त्रों को प्राथमिकता दें और कोशिश सफेद वाने मे ही चौकी जाने की ज्यादा करें । 
(5)- सबसे खतरनाक है " वार्तालाप " । ये कदापि न करें । क्योंकि ये करके न तो हम बैठते हैं और न ही दूसरों को बैठने देते हैं और दुगने पाप के भागीदार बनते हैं । कितना अच्छा लगता है जब साध बाई एक साथ बैठकर भक्ति करते हैं बो समय ही कुछ खास बन जाता है ।

और  अंत मे एक बात जरूर कहना चाहूँगा थोड़ी कडवी जरूर है कि जब जब चौकी मे खाना पीना होता है , बैठाई का माहौल ही खराब हो जाता है । इसका समाधान भी होना चाहिए ????
विचार करें ।
सत्तनाम

[ राजेश साध ]