दुख है मांग और चाह का होना सुख है अचाह होना

दुख और सुख

दुख है मांग और चाह का होना
सुख है अचाह होना

दुख है अभाव की ओर ध्यान देना और यही सोचना कि मेरे पास क्या नहीं है जो दूसरों के पास है
सुख है भाव की ओर ध्यान देना और यही सोंचना कि मेरे पास क्या है और मैं उसमें कितना त्रप्त हूँ

दुख है कमी ढूँढना
सुख है स्वीकार्यता

दुख है ईर्ष्या और मान की चाहना
सुख है सुमलत, कि जो मिला है वह बहुत है

दुख है शिकायत
सुख है धन्यवाद

दुख है लालसा
सुख है संतोष

दुख है लोभ
सुख है दान

दुख है पराए की चाह
सुख है शील

दुख है बेचैनी
सुख है शांती

दुख है बेईमानी
सुख है ईमानदारी

दुख है अहंकार
सुख है समर्पण

दुख है 'मैं'
सुख है 'वो'

दुख है क्रोध
सुख है करुणा

दुख है बदला
सुख है क्षमा

दुख है अपने नाम की आस
सुख है सत्तनाम की आस

दुख है व्यभिचार
सुख है सदाचार

दुख है विस्मरण (बिसरना)
सुख है स्मरण (सुमरन)

दुख है कि मुझे मिल जाए सब
सुख है तेरा तुझको सौंप दिया सब

दुख है पकडना
सुख है छोड देना

दुख है सिर्फ अपने लिए मांगना
सुख है सिर्फ सबके लिए मांगना

'मेरा' का भाव दुख है,
एक सराय (शरीर) में रात (जीवन) व्यतीत करने पर उस सराय को अपना मान लेना और सदा उसमें रहने की चाहना दुख है
उसी सराय को समय पर छोडने के लिए तत्पर रहने का भाव सुख है

मालिक सबको भलो करियौ