सहनशीलता
सरषटि के करता माँड़ के धनी अवगत् आप काशी मे कबीर साहिब के रूप मे बिराजमान हुये और ज्ञान सुनाया ।
बारहखडी में ज़िक्र है :-
ख खा खुदी कौ छाड कर ग़रीबी गह रहे।
किसी की दुइ गार सर पर सह रहे।।
कोइ कछु कह जाए ज़बाब नहीं दीजिए ।
यह ग़म अमरत घट माहे घोल कर पीजिये।।
सहनता करना बहुत महान काम है । जो सहनता करता है उसके लिये कहा है
कहै कबीर वे कब ब मिलै परम स्नेही साध।
जिनका चित समुनदर सा बुधमनता मन धीर
सौ दोसै बिरचै नहीं उनकौ साजन मिले कबीर
सरषटि के करता माँड़ के धनी अवगत् आप काशी मे कबीर साहिब के रूप मे बिराजमान हुये और ज्ञान सुनाया ।
बारहखडी में ज़िक्र है :-
ख खा खुदी कौ छाड कर ग़रीबी गह रहे।
किसी की दुइ गार सर पर सह रहे।।
कोइ कछु कह जाए ज़बाब नहीं दीजिए ।
यह ग़म अमरत घट माहे घोल कर पीजिये।।
सहनता करना बहुत महान काम है । जो सहनता करता है उसके लिये कहा है
कहै कबीर वे कब ब मिलै परम स्नेही साध।
जिनका चित समुनदर सा बुधमनता मन धीर
सौ दोसै बिरचै नहीं उनकौ साजन मिले कबीर