हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है

हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि हम बुरी सोच के साथ बोलेंगे  या काम करेंगे  , तो हमें  कष्ट ही मिलेगा है। यदि हम  शुद्ध विचारों के साथ बोले या काम करे , तो परछाई की तरह  ही प्रसन्नता हमारा साथ कभी नहीं छोडेगी।

हम जो कुछ भी है
दोनों ही बिचार बहुत ही सही है








जीवन में कभी भी किसी से अपनी तुलना मत करो....

हम जैसे हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं....
क्योंकि,
दाता की  की हर रचना अपने आप में सर्वोत्तम है, अदभुत है.....
और,
उस रचना में किन्तु परन्तु करना, इंसान के अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं।सूरज भान साध की आत्मा को मालिक सदगति दे ब परिबार को ब शान्त रहने की शक्ति प्रदान करे ।
मालिक दाता इतने दयालु है कि इसी पाँच तत्व के शरीर मे जिसमें मल मूत्र मास मज्जा है उसी पाँच तत्व के शरीर मे मालिक ने आत्मा ब्रह्म रखा जो कि सबसे शुद्ध है और उस आत्मा मे मालिक ने अपना ज्ञान परघट किया ।