सुख की चाहना और कामना है

सुख की चाहना और कामना है तो दुख का भी अहसास जरुर होगा सुख का समबंध तो शरीर से और मै से है
प्रानी का समबंध शांती और प्रासनता से होता है बह केवल नाम और ज्ञान की सीख के अमल मे है
सतनाम