खोटा बचन काहे कौ काढौ ।
सतगुर मिलै जुबा कौ साधो ।।
हम बोलते है बह बोल समाप्त नहीं होते और ब्रह्मांड मे बिचरण करते है समय आने पर बही बोल आकर लगते है निरबान ज्ञान मे इसका प्रमाण है .. .... हम कढा मे देख सकते है ।
हम बोलने में बिचार रखे कि हमारे बोल में अहंकार ( खोट ) की मिलावट कहा पर हो रही है। बहुत बारीकी से यह मिलावट चलती है इसलिये बोल की शंक्ति कमज़ोर हो जाती है ब दूसरा ब्यक्ति उस बोल को ग्रहण नहीं करता अर्थात हमारा ही बोल हमारे लिये घातक हो जाता है और जन्मों तक हमारा पीछा करता है । हमको बार बार जन्म भी लेने पड़ते है
" हम तुम बैर पड़ा अब ही सै "
परिणाम - अनेक जन्म
यदि उस अहंकार की मिलावट का शोधन करने की कला मालिक की करपा से मालिक से हम माँग करे तो मालिक दे देंगे।
सतगुर मिलै जुबा कौ साधो ।।
हम बोलते है बह बोल समाप्त नहीं होते और ब्रह्मांड मे बिचरण करते है समय आने पर बही बोल आकर लगते है निरबान ज्ञान मे इसका प्रमाण है .. .... हम कढा मे देख सकते है ।
हम बोलने में बिचार रखे कि हमारे बोल में अहंकार ( खोट ) की मिलावट कहा पर हो रही है। बहुत बारीकी से यह मिलावट चलती है इसलिये बोल की शंक्ति कमज़ोर हो जाती है ब दूसरा ब्यक्ति उस बोल को ग्रहण नहीं करता अर्थात हमारा ही बोल हमारे लिये घातक हो जाता है और जन्मों तक हमारा पीछा करता है । हमको बार बार जन्म भी लेने पड़ते है
" हम तुम बैर पड़ा अब ही सै "
परिणाम - अनेक जन्म
यदि उस अहंकार की मिलावट का शोधन करने की कला मालिक की करपा से मालिक से हम माँग करे तो मालिक दे देंगे।
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