हमारे साध समाज ने भगत मारग पर ही अपनी नींव रखी है


हमारे साध समाज ने भगत मारग पर ही अपनी नींव रखी है। भगत मारग भी ऐसा जहां कोई ढोंग या आडम्बर नहीं। मालिक का नाम लेना, उनकी सिफत के बखान करना, लोगों के सुख दुख में अपनी तरफ से हो सके उतना सहयोग करना। हम बचपन से देखते और सुनते चले आ रहे है  कि जब फर्रुखाबाद में गंगा में बाढ आती थी, तो सधवाडे से तत्कालीन नई पीढी के नौजवान साध, बाढ-पीडितों के लिए भोजन और कपडों की मदद लेकर नाव से दूर पास के गांवों में जाते थे। उस काम में आंधी, तूफान, बरसात, रात या दिन नहीं देखते थे। मालिक की ऐसी मेहेर है कि उस परम्परा को आज की पीढी ने और भी आगे बढाते हुए उसमें नये अध्याय जोडे हैं। संगत फर्रुखाबाद से मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, सूरत, ईरोड तथा अन्य स्थानों पर कारोबार के लिए फैल गई लेकिन उन्होंने अपनी परमारथ की परंपरा को और भी अधिक मजबूती ही दी। पिछले समय से संगत में ट्रस्ट बना कर संगत में जरूरतमंदों की अनेक तरह से मदद करना। इसमें अपना समय, धन और तन खर्च किया। कई बार जाडों में गरीबों में कंबल वितरण किया होगा जिसकी कोई गिनती नहीं। कश्मिर में आई बाढ में किसी बात की परवाह ना करते हुए वहां जाकर पीडितों की मदद की, जो कि तारीफे काबिल रहा।

पहले हमारे पहुंचे हुए करनी मान साधों के पास दीन दुखी अपनी पीडा लेकर आते थे, जिसके लिए साध या बाई मालिक से अर्दास कर उनकी पीडा को कम करने की या समाप्त करने की मांग मालिक दाता से करते थे। ये बहुत ही नेक काम संगत में शुरू से ही होते आए हैं। समय बदला तो परमारथ के स्वरूप में भी परिवर्तन आया। जैसे पहले साध काम कम होने के कारण चौकी या गंगा की बिसरातों पर अपना समय भक्ति में बिताते थे। आज संगत में काम कारोबार बढ गए हैं और उसी अनुपात में मालिक ने धनसम्पन्नता भी दी है। लेकिन साधों के आचरण में कोई परिवर्तन नहीं आया। बल्कि अब वे और भी अधिक परमारथ करने का मन बना कर काम करने लगे। कई साधों ने अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा अच्छे काम में खर्च करने का रिवाज बना लिया है।

नई पीढी ने अब व्हाट्सएप पर ग्रुप बना कर बतकई, रोजाना के अच्छे से अच्छे विचार, तथा आवश्यकतानुसार संगत में संदेश देकर  अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करने का कार्यक्रम बहुत ही उम्दा तरीके से कर रहे है। वर्तमान काल में नेपाल में आए हुए भूकंप में प्रभावित लोगों को मदद के रूप में आवश्यकतानुसार सामग्री या खाने पीने की वस्तुओं के वितरण का मन बनाया तो इसी व्हाट्सएप की मदद भी बहुत काम आई। संगत के साधों में तो होड लग गई कि मानो हम पहले से पहले अपनी तरफ से जो भी हो सके वो मदद पहुँचाएं। कोई तन से कोई मन से कोई धन से तो कोई तन-मन और धन तीनों से मदद में जुटा है। साधों के मते में सबसे प्रमुख बात परमारथ की है सो उसे उठाने के लिए एक नई मिसाल बना दी। मदद करने वाले में ट्रस्ट के अलावा साधों में विशेषकर दीपक साध, नोएडा, प्रकाश मोहन साध, मिर्जापुर, राकेश साध, चमकेश साध, फेन्सी डाईंग, बिपिन साध, नरेश साध, मिर्जापुर, बज्जर देव साध, मुंबई, रविंदर साध, फेन्सी डाईंग, सतीश चन्दर साध एसके डाईंग, नीरज कुमार पंकज कुमार, एनकेसी, सरस चन्दर साध-सन्दीप साध, अविनाश  कुमार साध, रकम एक्सपोर्ट, सुरेश चन्दर सलता कुमारी साध, एन आर, निर्दोष कुमार जोधन भान, सुभाष चन्द्र साध, केएस, प्रवीण साध-रोहित साध, मिर्जापुर, बिरजेशमनी उपकारमनी साध, नरेन्द्र शाह चाचा, रामरूप साध, एएस, विनय प्रकाश-नवीन-नीरज साध, रविन्दर कुमार अमितेश साध, यतेन्दर मोहन-मनोज कुमार साध, राकेश साध-सुलेखा साध, समुन्दर भान साध, डीगवासी, उमेश प्रकाश-शशी साध, केशवभान साध, नेताजी, राकेश बाबू साध, सीआर, निर्दोष साध, एनवाय, संदीप साध, डीपी, नरशी शाह-मानिक शाह, विनोद कुमार साध, राजश्री, विजय फूल साध-प्रीतफूल साध, श्रवण मोहन साध, दीपक कुमार साध-प्रबल कुमार साध, गोची, व्यासदेव साध-रतनदेव साध, अरुण कुमार साध-वरुण कुमार साध, निर्दोष कुमार साध-सचिन कुमार साध, धर्मेन्द्र मनी साध- प्रशान्त मनी साध, नरेश भान साध, नितेश एनके, चुनमुन विवेक साध-सूरत, वीरभान संजय कुमार साध, रविन्सन मोहन साध, (ग्रुप लीडर), रविन साध-बिरयन वाले, सतेन्द्र कुमार साध-पाडावासी, नरेन्द्र कुमार साध-पाडावासी,भवित साध, मनोज साध-संजय साध-जनता प्रिन्ट, नरेन्द्र कुमार साध नितेश-कानपुर, अनीश-गौरव, अविनेश चन्दर मयूर साध, दीपक साध-लोकेश साध, राजकुमार साध-जयेश साध एस एस, दुर्बाषचन्दर साध-नरेश कुमार साध, पन्नालाल साध, सविनय साध-राजश्री, जवाहर लाल साध परिवार, सन्तोष साध-सनील साध, अशोक कुमार साध-गौरव कुमार साध, जेबी, रतन मनी साध-संजीव मनी साध, परमेन्दर साध-प्रतीक साध, जीतू साध, जेके, आशीष साध-उजास साध, अजीत साध-कपिल साध, मुंबई, दिनेश कुमार साध-अमरीका डाईंग, धर्मेन्द्र साध-संगीता प्रिन्ट, निर्मल चन्दर सुशील बाबू साध, राजीव साध-बनारस वाले, सुरेन्दर मोहन साध-अनूप साध, मिर्जापुर, रितेश साध-पप्पी, मुकेश चन्द साध-सुजीत साध, एम डी, देश दीपक साध-रविन साध, दिनेस चन्द्र अनुपम साध, विनोद कुमार राजीव कुमार साध, मनोज कुमार साध प्रथम स्टाइल, धरमवीर साध-योगेश साध, सिद्धार्थ साध, सतेन्दर-निलेश साध-आगरा, ब्यास भान साध-राजन कुमार साध, राजवीर साध-रचना साध, शरद कुमार साध-ईरोड, श्रीमोहन साध-चार्ल्स मोहन साध, सूरत, अखिल कुमार साध-विशेष कुमार साध, नरेश कुमार साध-रोहित कुमार साध, सूरत, विनोद कुमार साध-प्रमेश साध, डीडी, नितिन सनी साध, ईरोड, इन्द्रेश भान सौरभ साध, कोलकाता, अखिलेश्वर नरायन साध-कपिल कुमार साध, जयपाल जिन्दल-आदित्य जिन्दल, संजय साध-सनी साध, सिटी डाईंग, दीपक ट्रान्सपोर्ट, फर्रुखाबाद, राजू-छोटी साध, विनोद कुमार रिसव कुमार, रमेश साध, ईरोड, जितेन्दर साध-आकर्षण साध, शैलेस साध-रोयल साध, शैलस कुमार साध-अभिषेक कुमार साध, सतनामी, अशोक कुमार साध-नवीन कुमार साध, रुपेश कुमार साध-राजू साध, अनूप साध, सूरत, रूपकिशन अजय कुमार साध, नवरतन साध, सुमित कुमार साध, फर्रुखाबाद, किशन कुमार साध-अमर कुमार साध, सुभाष चन्द्र साध-सोहित कुमार साध, चेतन प्रकाश, शक्कर वाले, गगन बुलगानी साध सूरत, मनोज कुमार साध-रूमे साध, सूरत, अखन कुमार साध-अमरेश साध, छोटे बाबू-मनोज मोहन, सुमलत भान साध, दुर्बाष मनी साध-अनुपम मनी साध, सूरत, नमित साध, सतनामी, संजीव मोहन साध, मिर्जापुर, सुनील साध-सुभय साध, अनिल कुमार निक्की, फर्रुखाबाद, उमेश साध, मिर्जापुर, निशान्त साध, राजश्री, विपिन साध-वरुण साध, प्रकाश साध-मोहित साध, नरेश भान साध-नीरज कुमार साध,(बुचके), रविन्दर कुमार साध-रजत साध, सूरत, राजेश साध, महुरायत (सी ब्लॉक), सरस इम्पेक्स के कर्मचारीगण, एन आर इन्टरनेशनल कर्मचारीगण, एकेसी कर्मचारीगण, छोटू-गोची कर्मचारीगण, एन प्रकाश कर्मचारीगण तथा रिलायन्स भवन की तरफ से आर्थिक सहयोग मिला।

ग्रुप के सदस्यों ने सिर्फ विचार बनाया और मालिक ने अपने बन्दों के मन में भाव जागृत कर दिये मानों मदद करने की होड लग गई हो। अभी तो ये जारी है, कहां तक पहुंचेगी ये तो मालिक जाने। लेकिन संगत को टहल का मौका देकर मालिक दाता ने संगत पर मेहेर बरसाई है।

इस काम में संगत के व्हाट्सएप के ग्रुप के सदस्यों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ कि उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में एक विशेष ऊंचाई प्राप्त की है।

दिनेश साध, मुंबई।


    बस मन को मीठा कर लो ।        
              क्योकि...
           इस धरा का...
           इस धरा पर...                
      सब धरा रह जायेगा ।।
                                   💞