रिजक मौत अबगत्त के सहारे ।
जीवन और मरत्यु ब रिजक ( भोजन ) तीनों हमारे हाथ मे नहीं । कितने जन्म हम ले चुके और कितनी बार हमारी मरत्यु हुई हम नहीं जानते । कहाँ से आए है और अगला ठिकाना कहाँ होगा नहीं मालूम ........ अनगिनत जन्म और मरत्यु से हम गुज़र चुके है । मरता है केबल शरीर आत्मा मिटती नहीं । बार बार मालिक मौक़ा देते है ......
।सत्तनाम जाने बिना कभी मुकत नहीं होय ।।
आप धनी ने नाम बताया "सत्तनाम " बह भी अमर है और मालिक की करपा से जो भी प्रानी सत्तनाम
से सुरत लगाने का प्रयास करता है तो मालिक उसको सच्ची सीख सुनाते है सींख सुनकर जो प्रानी सीख पर चलता है मालिक उस प्रानी के बोले हुये बोल भी अमर कर देते है और अमरलोक पहुँचा देते है बार बार जन्म मरत्यु का चक्र समाप्त कर देते है ।
इसलिये हमारे सबके बडे साधो ने सत्तनाम से सुरत लगाने का उपाय किया और मालिक के हवाले अपने को स्वय को सौंपकर मालिक से मिलने की आस करते थे ।
जीवन और मरत्यु ब रिजक ( भोजन ) तीनों हमारे हाथ मे नहीं । कितने जन्म हम ले चुके और कितनी बार हमारी मरत्यु हुई हम नहीं जानते । कहाँ से आए है और अगला ठिकाना कहाँ होगा नहीं मालूम ........ अनगिनत जन्म और मरत्यु से हम गुज़र चुके है । मरता है केबल शरीर आत्मा मिटती नहीं । बार बार मालिक मौक़ा देते है ......
।सत्तनाम जाने बिना कभी मुकत नहीं होय ।।
आप धनी ने नाम बताया "सत्तनाम " बह भी अमर है और मालिक की करपा से जो भी प्रानी सत्तनाम
से सुरत लगाने का प्रयास करता है तो मालिक उसको सच्ची सीख सुनाते है सींख सुनकर जो प्रानी सीख पर चलता है मालिक उस प्रानी के बोले हुये बोल भी अमर कर देते है और अमरलोक पहुँचा देते है बार बार जन्म मरत्यु का चक्र समाप्त कर देते है ।
इसलिये हमारे सबके बडे साधो ने सत्तनाम से सुरत लगाने का उपाय किया और मालिक के हवाले अपने को स्वय को सौंपकर मालिक से मिलने की आस करते थे ।