यह बड़े दुःख की बात है कि लोग सत् करतार और उनकी मैहर से जीती जी मौज मुकत के अनुभव का आभास करे हुए साधक संत प्राणियो से भी सांसारिक सुख माँगते हैं ! दान - पुण्य आदि करके भी बदले में सांसारिक भोग चाहते हैं ! सत् तत्त्व को बेचकर बदले मै महान् दुःखो के जाल रूप संसार को खरीद लेते हैं । यह महान् कलंक की बात है !