संसार अथवा समाज में लोग चाहे हमें

संसार अथवा समाज में लोग चाहे हमें अच्छा न मानें अथवा अच्छा न जानें अथवा अच्छा न कहें, पर हमारे भाव अच्छे हैं तो हमारे चित्त में हर समय आनन्द रहेगा, प्रसन्नता रहेगी और इस पांच तत्व के कच्चे शरीर से ब्रह्म के निकल जाने के उपरान्त सद्गति होगी ।
 यह बड़े दुःख की बात है कि लोग सत् करतार और उनकी मैहर से जीती जी मौज मुकत के अनुभव का आभास करे हुए साधक संत प्राणियो से भी सांसारिक सुख माँगते हैं ! दान - पुण्य आदि करके भी बदले में सांसारिक भोग चाहते हैं ! सत् तत्त्व को बेचकर बदले मै महान् दुःखो के जाल रूप संसार को खरीद लेते हैं । यह महान् कलंक की बात है !