विधाता के पास एक सिद्ध पुरुष पहुँचे

*कहानी* *जो* *जीवन* *बदल* *दे* ।

विधाता के पास एक सिद्ध पुरुष पहुँचे। देखा कि वे लोगों का भाग्य लिख रहे हैं। इस क्रिया को सिद्ध पुरुष आकर ध्यान देकर देखने लगे।

विधाता ने देखने से रोका और कहा- यह लिखा तो जा रहा है पर उसे किसी को जानने पर रोक है ? 

प्रश्न किया गया कि ऐसा क्यों ? ब्रह्मा जी ने कहा-बताने में अनर्थ ही अनर्थ है।

किसी को अच्छा भाग्य बताया जायगा तो उसका पुरुषार्थ घट जायगा अहंकारी बन जायेगा और यदि भाग्य खोटा बताया जाय तो निराशा छायेगी और कोई बड़ा काम करने की हिम्मत न पड़ेगी।

दोनों ही प्रकार मानवी पुरुषार्थ को हानि पहुँचेगी और संसार के गति-चक्र में व्यवधान पड़ जायेगा। इसी कारण भाग्य बताने पर दैवी रोक है। जो जानते है बताते नहीं, जो बताते है वे जानते नहीं।

 *सत* *अवगत* *सतनाम*