कैसे रखता है चित्रगुप्त करोड़ों मनुष्य का हिसाब

कैसे रखता है चित्रगुप्त करोड़ों मनुष्य का हिसाब
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अनेक लोगों के मन में यह सवाल उठ सकता है की दुनिया में सात अरब से से भी अधिक जन।
संख्या है तो फिर चित्रगुप्त सब का हिसाब कैसे रखता होगा?
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चित्रगुप्त कभी हिसाब रखने में कोई गलती नहीं करते हैं क्योंकि उनका हिसाब रखने का तरीका बहुत अच्छा है हमारे जीवन का हिसाब रखने वाला चित्रगुप्त कौन है?
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चित्र+ गुप्त कहने का भाव है कि चित्रगुप्त माना हमारे हर भाव हर भावना वृत्ति और कर्म का गुप्त रूप से चित्र खींचा जाता है और वह अंत में सारे जीवन की एक फिल्म की रील की तरह पेश हो जाता है जिस कारण मनुष्य यह नहीं कह सकता कि यह हमारा किया हुआ कर्म नहीं है या या बुरी वृत्ति भावना मेरी नहीं है .
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वैसे आज की दुनिया में किसी व्यक्ति के कर्मों का स्टिंग ऑपरेशन किया जाता है तो वह इंकार नहीं कर सकता ठीक इसी प्रकार चित्र गुप्त ने भी हम सभी में एक गुप्त कैमरा ऐसा लगाया है जो हर कर्म को चाहे कोई देखे या न देखे लेकिन हर पल गुप्त स्टिंग ऑपरेशन होता रहता है तभी तो दुनिया में कहा जाता है कि व्यक्ति अपने आप से छुप नहीं सकता माना हर एक व्यक्ति में एक चित्रगुप्त है
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वह कभी कोई गलत हिसाब नहीं रखता इसलिए मनुष्य जब भी कोई कर्म करे तो यह न सोचें कि जो मैं कर रहा हूं वह कोई देख नहीं रहा है भगवान भी नहीं देख रहा है लेकिन हर कर्म करते समय किस vruti से किया? किस भावना से किया? इन सब बातों का गुप्त चित्र संस्कारों में समा जाता है जिसको कोई मिटा नहीं सकता
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और वह चित्र हमारे भीतर ही रहता है जब व्यक्ति शरीफ क्या करता तो संस्कारों में पड़े सारे चित्रों की फाइल को चित्रगुप्त खोल कर रख देता है जैसे किसी कीड़े को मैग्निफाइंग ग्लास के नीचे देखने से बहुत बड़ा और भयानक दिखता है वैसे ही एक एक करके सारे चित्र मैग्निफ़ाई होकर व्यक्ति के सामने बहुत स्पष्ट और भयंकर रूप में नजर आते हैं
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उस कर्म करते समय उसकी मनोवृति भावनाएं भी बहुत ही स्पष्ट दिखाई देती है उस समय भगवान तो क्षमा का सागर है व क्षमा कर देते हैं लेकिन आत्मा खुद ही खुद को कभी क्षमा नहीं करती जब हम खुद स्वयं को क्षमा नहीं कर पाते हैं
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तब उन कर्मों को स्वीकार करके बुरे कर्म का फल भोगने के लिए संसार में फिर से आते हैं कर्मों के आधार पर आत्मा आने वाले जन्मों में भाग्य या होनी को निश्चित करती है जिस से कोई भाग नहीं सकता तभी कहा जाता है भाग्य या होनी को टाला नही जा सकता ।