जिसने भी माया की तरफ मुख किया

*जिसने भी माया की तरफ मुख किया और जिसने भी परमात्मा की तरफ पीठ की , वे सब मारे गए । उन्हें मृत्यु के सिवाय और कुछ भी न मिला । जीवन के नाम पर उन्होंने केवल मृत्यु ही इकट्ठी की । बार—बार मरे , जिए कभी नहीं । जन्मे और मरे , जिए कभी नहीं ! जो परमात्मा से विमुख हैं , जो उसके नाम से अभी तक नहीं भरे हैं , जो सतनाम से नहीं प्रज्वलित हुए हैं , जिनके भीतर हरिनाम नहीं गूंजा.....और हरिनाम के गूंजने का मतलब समझ लेना , उसका मतलब होता है : जहाँ सब शब्द शांत हो गए और जगत की वास्तविक ध्वनि ओंकार पैदा हुई । यह जगत इसी ध्वनि से निर्मित है । यह नाद इस जगत के प्राणों में छिपा है.....!!*
● *ओशो* ●