जीवन की चेतावनी

जीवन की चेतावनी
नाम-जप करो अन्त में नाम काम आवेगा | धन, सम्पति, परिवार, मकान कुछ काम नहीं आवेगा | अभी तक जिन कामों को करते हुए, आपको सत्संग,भजन, ध्यान, स्वाध्याय, पाठ, जप आदि के लिये समय नहीं मिलता है अन्त में क्या होगा ? हाय ! हमने कुछ नहीं किया | यह सारा काम-धन्धा कुछ नहीं किया में भर्ती होने वाला है | मनुष्य कहता है कि सत्संग के लिये समय नहीं मिलता | राम ! राम ! कितनी सारी भूल ! बच्चा जन्मता है, तो बड़ा होगा कि नहीं होगा, इसमें सन्देह है | पढेगा कि नहीं पढेगा, इसमें सन्देह है | विवाह होगा कि नहीं होगा, इसमें सन्देह है; परन्तु मरेगा कि नहीं मरेगा, इसमें सन्देह नहीं है | मरना तो पड़ेगा ही | परन्तु जिन कामों में सन्देह है उन्हें तो तत्परता से कर रहा है, परन्तु जिन काम में सन्देह नहीं, जाना तो पड़ेगा जरुर, उसके लिये कोई तैयारी ही नहीं | बड़े आश्चर्य की बात है | यह बड़ी भारी भूल है | अत: सावधान हो जाओ |
मैं एक सच्ची बात कहता हूँ | वह यह है कि सिवाय भगवान् के अपना कोई नहीं है | मन, बुध्दि, इन्द्रियाँ, श्वास आदि कोई आपके नहीं | परन्तु प्रभु को आप अपना मान लें तो प्रभु छोड़ नहीं सकते आपको | ये सब चीजें, जिनके पीछे आप पड़े हैं, आपकी बात कोई मानने वाला नहीं है | जिस शरीर की आप सदा रक्षा करते हो, एक दिन रात्रि में भूल से कपड़ा अलग रह जाय तो जाड़ा लग जाता है | यह ख्याल नहीं करता कि कितने दिन इसने रक्षा की, एक दिन मैं भी क्षमा कर दूँ, इतने वर्षों से अन्न जल दिया | दो दिन अन्न जल बन्द कर दे तो इसकी क्या दशा होती है ? यह इतना कृतघ्न है कि दो दिन में ही पोल निकाल देता है | तो ऐसे कृतघ्न शरीर के तो बन गये गुलाम और

जो भगवान केवल याद करने मात्र से दौड़ते हैं उन भगवान् को याद ही नहीं करते | बिना याद किये भी उन भगवान ने हमे विद्या, बुध्दि, ज्ञान, शरीर, जीवन आदि सभी दिये हैं और देते ही रहते हैं | इतने विलक्षण ढंग से देते हैं कि उनका दिया हुआ अपना ही मालूम होता है | ऐसे परम सुहृद परमात्मा को भूल गये यह भारी भूल है |
“सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छ्ती |”