किन साँसों का मैं एतबार करूँ

किन साँसों का मैं एतबार करूँ जो अंत में मेरा साथ छोड जाऐंगी..!!
किस धन का मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा..!!
किस तन पे मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा..!!
भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती...
और यदि सजा हो जाये तो जमानत नहीं होती....

" *मनुष्य का जीवन गीली मिट्टी की तरह है*
*एवं उसके विचार एक साँचे की तरह है*
*जैसे विचारों में वह डूबा रहता है*
*उसी साँचे में जीवन ढल जाता है......!!!"*

इसलिए सदैव मन में
" *अच्छी सोच* ",
" *अच्छी भावना* " व
" *अच्छा विचार* '' रखे ।।
           सत्तनाम ! 🌅