जीवन में सारा कुछ, हमारी सोंच पर आधारित है

जीवन में सारा कुछ, हमारी सोंच पर आधारित है।
 हमारी अच्छाई, सच्चाई, द्रढता और मजबूती।
हमारी हटधर्मिता, हमारा पलायन, हमारा बुराईयों से जुडाव।
हमारी आशा, हमारी निराशा, हमारा दुख, हमारा सुख।
 हमारी कलह, हमारी वेचैनी, हमारी हार, हमारी जीत।
 हमारी चिन्ता, हमारी वेख्याली।
 हमारी शान्ती, हमारी अशान्ति।
सभी हमारी सोंच का दर्पण हैं।
एक अच्छी, सच्ची ग्यान जोग द्रण सोंच, हमें मालिक के दरवार में पहुचा सकती है।
वहीं बुरे विचारों से ओतप्रोत मलिन सोंच, हमें चौरासी का रसास्वादन करा सकती है।
आशा और निराशा जीवन की दो धारायें है।
निराशावादी मनुष्य हमेंशां,परेशान ही रहता है।
जबकि एक आशावादी, कठिन, से कठिन समय में भी, विचलित नहीं होता।
कैसी भी विकट परिस्थिती क्यों न हो, उसे विस्वास होता है कि, सब कुछ सही ही होगा।
"आशा एक उसैदी"।
साध का काम है कि, वह ग्यान जोग सोंच रख्खे, मालिक से आश करे, उसके सारे काम पूरे होंगे।
सत्तनाम।
राजमुकट साध